बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र
प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
अथवा
संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन क्या है ?
उत्तर -
डिजाइन (Designs) - अभिकल्प या डिजाइन शब्द का उपयोग प्रयुक्त कलाओं, अभियांत्रिकी, वास्तुशिल्प एवं इसी तरह के अन्य सृजनात्मक कार्यों या क्षेत्रों में किया जाता है। इसे क्रिया एवं संज्ञा के रूप में प्रयोग किया जाता है। क्रिया के रूप में डिजाइन का अर्थ उस प्रक्रिया से है जो किसी उत्पाद ढाँचा, तंत्र या सामान को अस्तित्व में लाने के लिए या उसके विकास के लिये अपनाई जाती है। डिजाइन के अन्तर्गत डिजाइन शब्द को दो अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है।
(1) अन्तिम समाधान, हल या योजना (जैसे प्रस्ताव, रेखाचित्र, मॉडल वर्णन आदि।)
(2) किसी योजना को क्रियान्वित करने पर प्राप्त परिणाम (जैसे कोई सामान, किसी प्रक्रिया को अपनाने का परिणाम आदि।)
डिजाइन के प्रकार - डिजाइन के निम्न प्रकार हैं
1. वास्तुकला डिजाइन मानव के लिए परियोजना रहने का स्थान भवन, पार्क सार्वजनिक वर्ग, घर इत्यादि।
2. रिक्त स्थान का डिजाइन यह अपनी उपयोगिता की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार रिक्त स्थान के उपयोग और अनुकूल की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए होती है। वाणिज्यिक आवासीय, शैक्षिक इत्यादि इसके अन्तर्गत आते हैं।
3.औद्योगिक डिजाइन फर्नीचर, उपकरण, कलाकृतियों के माध्यम से एक चम्मच से कार या हवाई जहाज के पार्ट तक मानव उपयोग के लिए औद्योगिक उत्पादन वस्तुओं को प्रोजेक्ट करता है।
4. ग्रफिक डिजाइन - इसके माध्यम से महत्वपूर्ण दृश्य संदेश पुनः प्राप्त होते हैं। लोगों के ब्रांड पोस्टर, पत्रिकाएँ, पुस्तक कबर और बेवसाइट तैयार की जाती हैं।
5. फैशन डिजाइन इसके माध्यम से कपड़े और कपड़ों के समान डिजाइन, कपड़े, जूते, गहने आदि बनाए जाते है।
6. टेक्सटाइल डिजाइन इसके माध्यम से औद्योगिक डिजाइन, फैशन डिजाइन के कुछ अन्य ग्राफिक डिजाइन, कपड़े के उद्योग के लिए कपड़े और पैटर्न की अवधारणा और विन्यास को शामिल किया जाता है। जेसे प्रिंट, यार्न, कढाई, फाइबर।
7. इन्टर एक्टिव डिजाइन - यह डिजिटल इंटरफेस ओर साफ्टवेयर के डिजाइन पर केन्द्रित है।
संरचनात्मक डिजाइन (Structural design) यह डिजाइन संरचनाओं की स्थिरता, मजबूती और कठोरता की व्यवस्थित जांच है। संरचनात्मक विश्लेषण और डिजाइन का मूल उद्देश्य एक ऐसी संरचना का निर्माण करना है जो अपने इच्छित जीवन के दौरान विफलता के बिना सभी भारों का विरोध करने में सक्षम हो। एक संरचना का प्राथमिक उद्देश्य भार को संचारित करना या समर्थन करना है। यदि संरचना अनुचित रूप से गढ़ी गई हो या वास्तविक लागू भार डिजाइन विनिर्देशों से अधिक है, तो संभावित गंभीर परिणामों के साथ डिवाइस संभवतः अपने इच्छित कार्य को करने में सफल नहीं होगा। एक भलीभांति इजीनियर की हुयी संरचना महँगी विफलताओं की सम्भावना को बहुत कम करती है।
संरचनात्मक डिजाइन की प्रक्रिया संरचनात्मक डिजाइन की प्रक्रिया को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
(1) चरण (योजना)
(2) डिजाइन
(3) निर्माण
(1) चरण - इसमें संरचना के सामान्य ले आउट और आयामों को प्रभावित करने वाली विभिन्न आवश्यकताओं और कारकों पर विचार करना शामिल है। इसके परिणामस्वरूप एक या कई वैकल्पिक प्रकार की संरचनाओं का चुनाव होता है जो अच्छा सामान्य साधन प्रदान करता है।
(2) डिजाइन इसमें चरण में परिभाषित वैकल्पिक समाधानों पर विस्तृत विचार किया जाता है। इसमें प्रत्येक वैकल्पिक संरचनात्मक व्यवस्था के निर्माण के लिए संरचनात्मक तत्वों और कनेक्शनों के सबसे उपयुक्त अनुपात आयात और विवरण का निर्धारण किया जाता है।
(3) निर्माण इस चरण में कर्मियों को एकत्रित किया जाता है। सामग्री और उपकरणों की खरीद साइट पर उनके परिवहन और वास्तविक साइट पर निर्माण सहित चरण के दौरान कुछ नए डिजाइन की आवश्यकता होती है। कुछ अप्रत्याशित कठिनाइयाँ आती है, जैसे निर्दिष्ट सामग्री का उपलब्ध न होना आदि।
सजावटी डिजाइन (Decorative Design) - किसी भी रेखा व सामग्री का रंग जो एक समृद्ध गुणवत्ता जोड़ने के उद्देश्य से संरचनात्मक डिजाइन में लागू किया जाता है उसे सजावटी डिजाइन कहते हैं। संरचनात्मक डिजाइन सुंदरता है जब कि सजावटी डिजाइन विलासिता है। जैसे बुनाई के पश्चात् पिपली कढ़ाई, पेंटिग या ट्रिमिंग।
सजावट का उपयोग मॉडरेशन में करते हैं :
सजावटी डिजाइन को संरचनात्मक बिन्दुओं पर रखते हैं और किसी वस्तु के आकार को मजबूत करते हैं।
बर्तनों और कटोरियों पर सम्पूर्ण सतह संवर्धन, वस्तु पर संरचनात्मक बिन्दुओं रचनात्मक कला, टेबल क्लाथ पर आवेदन कला का कार्य सजावटी डिजाइन के उदाहरण है।
सजावटी डिजाइन के प्रकार सजावटी डिजाइन के प्रमुखतः निम्न प्रकार हैं-
(1) प्राकृतिक डिजाइन इसमें प्राकृतिक रूपों को चित्रों की तरह दिखाया जाता है। जैसे फलों, फूलों, जानवरों या प्राकृतिक दृश्यों का चित्रांकन करना। जब प्राकृतिक चित्रों का चयन किया जाता है और इनका ठीक से रूपांकन पुनः किया जाता है तो इसे प्राकृतिक सजावटी डिजाइन कहते हैं। फूल व पत्तों, गुलदस्ते की यथार्थवादी पेंटिंग, फोटोग्राफिक या पेटिंग के रूप में व्यक्त प्राकृतिक परिदृश्य कमोवेश किसी चीज की सटीक अभिव्यक्ति है जो कि हम प्रकृति में देखते हैं। आंतरिक सज्जा में प्राकृतिक डिजाइन के अनुप्रयोग चित्र, दीवार के कागज, कपड़े पेटिंग इत्यादि पर हो सकते है।
(2) पारंपरिक डिजाइन या शैलीबद्ध डिजाइन इसमें शैलीकृत रूपांकन प्राकृति वस्तुओं के चित्रों की तरह नहीं दिखते, आमतौर पर रेखाएँ सरल और पांरपरिक होती हैं, कभी-कभी वे विकृत भी हो जाती हैं।
शैलीकृत रूपांकनों में पत्तियों फूलों, जानवरों फलों के रूप में उपयोग किया जाता है, परन्तु वे पास्परिक शैलीबद्ध होते हैं। पांरपरिक डिजाइन में रूप और रंग को भी पारंपरिक बनाया जाता है।
शैलीबद्ध डिजाइनों के अनुप्रयोगों में फर्श की फिनिशिंग कालीन फिनिशिंग सामग्री, दीवार के कागज चित्र आदि शामिल हैं। पैटर्न कभी-कभी शैलीबद्ध और ज्यामितीय रूपांकनों के संयोजनों के रूप में बनाए जाते हैं। जैसे मोर, बतख, इंसान इत्यादि की शैलीबद्ध डिजाइनों।
(3) सार डिजाइन - इसमें रेखाओं, धारियों आदि के संयोजन को सार डिजाइन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। वस्त्रों में प्लेड, 5 टी स्ट्राइप्स जी चेक और ज्यामितीय पैटर्न अमूर्त डिजाइनों के उदाहरण हैं।
ये डिजाइन समतल डिजाइन हो सकते हैं या यह दो या तीन आयामी आकृतियों या वस्तुओं के साथ गहराई व्यक्त कर सकते हैं। आधुनिक कला में अमूर्त डिजाइनों के अनुप्रयोगों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
इसमें स्रोत के रूप में प्रकृति नहीं होती बल्कि अनियमित रूप से उत्पन्न करने वाली रेखाओं का संयोजन होता है, जिसे आसानी से पहचाना नहीं जा सकता है।
(4) ज्यामितीय डिजाइन ज्यामितीय रूपांकन वृत्त, आयत, त्रिभुज, धारियों बिन्दुओं चेकों, पट्टियों आदि के शुद्ध रूपों पर आधारित होते हैं।
हालांकि उनके अंतहीन रूपान्तरों और संयोजनों का उपयोग डिजाइन बनाने के लिए किया जाता है।
उनकी सुंदरता या तो अनुपात के लालित्य या किसी रचना में अन्य आकृतियों के संबंध में उनकी व्यवस्था से ली गयी है। क्राकरी, फ्लोर कवरिंग, वालपेपर फर्निशिंग आइटम वाल हैगिंग पिक्चर आदि में ज्यामितीय डिजाइनों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
आधुनिक डिजाइनर अपने द्वारा उपयोग किये जाने वाले पैटर्न की छोटी मात्रा में ज्यामितीय रूपांकनों को पसंद करते हैं।
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- प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
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- प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
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- प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
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- प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।